my poetry : एक सलीका मुझे जीने का, तूने सबसे जुदा दिया.... #neerujain
या रब तुम भी इक ग़ज़ब शिल्पकार हो ...... जब भी हम टूटने लगे क्या खूब सा फिर से तराश दिया ... माना ग़र्दिशों में हमें बड़ा किया पर आंसूओं में जीने का इक हौसला नया दिया...... साए डरते थे जब जब अंधेरों के आके मां के आंचल में मुझको छुपा दिया..... तोड़ रहे थे जहां ख्वाब सभी इक परी से मुझ को मिला दिया..... मद्धम पड़ती सी इस जिन्दगी में इक दिया चुपके से जला दिया....... उदास सूनी सी पड़ती इन राहों में मंदिर की घंटी सा संगीत सा बजा दिया....... मै क्यूं गीनु कि तूने क्या दिया, क्या ना दिया एक सलीका मुझे जीने का, तूने सबसे जुदा दिया .... जब भी हम टूटने लगे फिर से नया सा तराश दिया .... Dr. Neeru Jain