मेरे ख़्वाबों के आंगन में चांद उतरा...
मेरे ख़्वाबों के आंगन में चांद उतरा...
ऐ रात जरा तू रुक भी ले
मेरे ख़्वाबों के आंगन में चांद उतरा...
मै जी भर के उसको देख लूं जरा
मेरे पहलू में आज चांद उतरा ...
उसकी हंसी बिखर रही
बन कर रागिनी
मैं छम छम करती नाच लूं जरा....
उसकी इक झलक का असर यूं हुआ
मन बावरा सा हो चला...
उसके ख्वाबों से
रात महकने लगी
हर करवट पे, उसका नाम निकला..
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