My poetry :दुआ - Dr. Neeru jain
1. Poem
जहर घोलने वालों को भी मिठास देती हूं।
मैरी उम्मीदें तोड़ने वालों को भी
नई आस देती हूं........
मैं क्या हूं यह तुमने अभी जाना ही नहीं
जहां सोचते हैं सब कि,
मेरी कहानी खत्म,
मैं बस वही एक नया इतिहास रचती हूं.......
मेरी हस्ती मिटने को चलाते है लोग
आंधियां कई ,
मै उनके डूबते तिनके का भी सहारा बनती हूं.......
मेरे पाँव के छालों पर न जाओ दोस्तों
कैसे थम जाऊ,
कि कई ज़िंदगियों का हाथ थामे चलती हूं.........
मै जानती हूं कि मै कुछ भी तो नहीं
लोग कहते है फिर भी ,
मै उनके टूटे मन का हौसला बनती हूं..............
शुक्रिया या खुदा ये नेमत बरसाने के लिए
कि मै दुश्मनों के हक़ में भी
दुआ पढ़ती हूं।
Dr. Neeru Jain
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